मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

सुख दुख का साथी जान

निर्विरोध युवा हाथों में सौंपी कमान

राजेश सिंह क्षत्री

आदिवासी युवक अशोक को उसके निःश्छल व्यवहार और सबके साथ सहजता से घुल मिल जाने की प्रवृत्ति के चलते गांव वालों ने निर्विरोध सरपंच के पद पर बिठा दिया तो वहीं सभी 16 वार्डो में पंच का चयन भी निर्विरोध हुआ वहीं जनपद सदस्य के लिए गांव से एकमात्र प्रत्याशी जोधराम बिंझवार को ही खड़ा किया गया और उसे ही वोट देने की बातें कही गई।
जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम केराकछार में सरपंच और पंच के पद पर निर्विरोध निर्वाचन होने की जानकारी होने के बाद जब पंचायत की मुस्कान की टीम आदिवासी बाहुल्य इस गांव में पंहुची। हसदेव नदी के किनारे बसे और पड़ोसी कोरबा जिले से लगे इस गांव में पंहुचने पर गांव के प्रारंभ में ही एक दुकान के किनारे रूककर हमने नवनिर्वाचित सरपंच के बारे में जानकारी ली। किराना दुकान के सामने खड़े एक नवमी कक्षा के विद्यार्थी ने हमें अपने युवा सरपंच की जानकारी देते हुए बताया कि अच्छा अशोक, ये सामने वाला घर ही तो अशोक का है। गांव के युवा सरपंच के मिट्टी के बने घर और बाड़ी को हमने पूरा छान मारा लेकिन अशोक क्या वहां कोई भी नहीं मिला। इस पर हमारी टीम बाहर निकलकर उस बालक से फिर मुखातिब होते हुए उससे अशोक के बारे में जानकारी लेने के लिए जुट गया। कोरबा जिले के कनकी गांव के स्कूल में हाईस्कूल में पढ़ने वाला पन्द्रह वर्षीय वह बालक भी हमें अशोक का नाम ले उसे ढूंढने में उसी तरह से मदद करने लगा जैसे वह उसी का हमउम्र कोई मित्र हो। हम आवास में बने अशोक के दूसरे घर भी गए लेकिन वहां मौजूद अशोक के भोले-भाले परिजन भी हमें कोई खास जानकारी नहीं दे सके। इसी बीच पता चला कि गांव के बाहर मैदान में कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। अशोक के वहां मौजूद होने का अनुमान लगाते हुए हम बच्चों के बीच पंहुच गए, जहां क्रिकेट का आनंद उठाते ग्राम पंचायत केराकछार का युवा सरपंच हमें मिल ही गया। ग्राम पंचायत केराकछार भी पहली बार अलग से ग्राम पंचायत बना है। इससे पहले यह गांव ग्राम गतवा का आश्रित ग्राम था। केराकछार में कुल तीन मोहल्ले दमखांचा, केराकछार और पतरापाली है जिसके सभी 14 वार्डो पर पंच और गांव का सरपंच अशोक कुमार बिंझवार निर्विरोध चुने गए हैं। इतना ही नहीं इस गांव में जनपद पंचायत के लिए भी गांव से एक नाम जोधराम बिंझवार का आगे आया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव के लोग बीडीसी के लिए जोधराम बिंझवार को ही वोट देंगें बाकि वो हारते है या जीतते हैं वह दूसरे प्रत्याशियों और दूसरे गांव में मिले उसे वोटों पर निर्भर करेगी। एक ग्रामीण ने बताया कि जब केराकछार गतवा पंचायत का अधिनस्थ ग्राम था तब भी यहां के लोग एकराय होकर किसी एक का नाम ही आगे बढ़ाते थे लेकिन ग्राम गतवा से भी लोगों के चुनावी मैदान में उतरने की वजह से चुनाव की नौबत आती थी उसके बाद भी अधिकतर केराकछार का व्यक्ति ही चुनाव जीत जाता था क्योंकि यहां के मत किसी एक को ही पड़ते थे। जब पहली बार केराकछार अलग से ग्राम पंचायत के रूप में अस्तित्व में आया तो गांव वालों ने एक बार फिर से बैठक का सहारा लिया और पंच-सरपंच सभी पर एकराय से अपने उम्मीद्वार तय कर दिए। यही वजह रही कि यहां से किसी भी दूसरे दावेदार ने फार्म ही जमा नहीं किए और पूरी पंचायत निर्विरोध चुनी गई। निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति में भी आखिर आप ही क्यों जबकि आदिवासी बाहुल्य इस गांव में दावेदार तो अनेक रहे होंगे के सवाल पर सरल और सहज शब्दों में अशोक बताते हैं कि उनका सबके साथ अच्छा व्यवहार रहा है वहीं वह सभी दावेदारों में सबसे युवा भी थे, शायद यही वजह रही कि लोगों ने उन पर ही अपना विश्वास जताया।

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