शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

Development to keep pace with the PM-CM-विकास को लेकर पीएम-सीएम के साथ कदमताल

हमारे देश में ग्रामीण विकास की अवधारणा काफी पुरानी है। आजादी के बाद महात्मा गांधी ने भी पंचायती राज की अवधारणा की थी, उनकी सोच थी कि जब तक भारत के गांवों में बसने वाले अंतिम व्यक्ति का विकास नहीं होगा देश का विकास संभव नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और उन्हें रोजगार देने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को अस्तित्व में लाने का कार्य किया था। इसी सोच के साथ हमने भी लगभग चार वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ‘‘पंचायत की मुस्कान’’ के नाम से मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था, उसके बाद मई से हम ऐसे लोगों को पुरस्कार प्रदान करने के लिए व्यवहार में जुट गए जिन्होंने गांवों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। हमारी सोच थी कि जब हम ऐसे लोगों को सामने लायेंगे तो उन्हें देखकर हजारो लोग गांवों का विकास करने के लिए सोचेंगे और आगे आयेंगे। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और 15 अगस्त 2014 को लालकिले से प्रथम संबोधन में उन्होंने भी गांवों के विकास की बात को खास तौर से रेखांकित किया और प्रत्येक सांसदों को एक-एक गांवों को आदर्श ग्राम के विकसित करने की जवाबदारी थमा दी। उनकी देखा देखी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने भी सभी ब्लाकों में 10-10 गांवों को आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करने की बातें कही। उल्लेखनीय है कि गांवों के विकास की रूपरेखा को जब पीएम और सीएम अंजाम दे रहे थे उससे पहले ही हमारी योजना तैयार हो गई थी तथा हमने उस पर कार्य प्रारंभ कर दिया था और हम आज भी उस पर कार्यरत हैं तथा पीएम और सीएम के गांवों के विकास की अवधारणा के साथ कदमताल करते हुए चल रहे हैं। 

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