मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

नारी शक्ति ने सुनाया फरमान

महमदपुर का पहला सरपंच तो निर्विरोध ही बनेगा

राजेश सिंह क्षत्री

बरगंवा के आश्रित ग्राम महमदपुर के ग्रामीणों को जैसे ही इस बात का पता लगा कि अब महमदपुर के नाम से अलग से ग्राम पंचायत का गठन होगा यहां कि चारों महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने एक स्वर में अपनी राय बता दी कि लाटरी के बाद सरपंच का पद चाहे जिस भी वर्ग को मिले लेकिन ग्राम पंचायत महमदपुर का पहला सरपंच तो निर्विरोध ही चुना जाएगा। आंगनबाड़ी भवन के पास ग्रामीणों की कई दौर की बैठक के बाद दुलेशिया बाई चैहान को ग्राम पंचायत महमदपुर का निर्विरोध सरपंच चुन लिया गया वहीं जनपद सदस्य के पद पर ही गांव से एकमात्र प्रत्याशी के रूप में मालती कंवर के नाम पर मुहर लगा दी गई।
भक्तिन के बसाए गांव में बाजार लगने से भक्तिन बाजार के नाम से मशहूर अकलतरा विकासखंड का ग्राम पंचायत महमदपुर इससे पहले ग्राम पंचायत के आश्रित गांव के रूप में जाना जाता था, जहां 2015 में पहली बार महमदपुर ग्राम पंचायत के लिए चुनाव हुआ लेकिन यहां सरपंच पद के लिए चुनाव नहीं हुआ क्योंकि ग्रामीणों ने एक राय से यहां अनुसूचित जाति वर्ग की महिला दुलेशिया बाई चैहान को अपना सरपंच चुन लिया और सरपंच पद के लिए महमदपुर से एकमात्र प्रत्याशी के रूप में दुलेशिया बाई चैहान ने अपना नामांकन जमा किया और वो निर्विरोध सरपंच चुनी गई।
चार-पांच साल पहले तक महमदपुर को ‘‘दूपार्टी गांव’’ अर्थात ऐसे गांव के रूप में जाना जाता था जहां दो पार्टी रहती है तथा आए दिन झगड़े होते रहते हैं तथा छोटे-छोटे विवाद बड़ा रूप ले लेते हैं। ऐसे में जब गांव वालों को इस बात की जानकारी हुई कि महमदपुर को ग्राम पंचायत बरगंवा से अलग कर स्वतंत्र ग्राम पंचायत बनाया जा रहा है तब ग्रामीणों के मन में अपना अलग से पंचायत बनने की खुशी के साथ-साथ इस बात का भय भी था कि आगामी पंचायत चुनाव में क्या पता यहां का माहौल कैस होगा ? ऐसी स्थिति में गांव में मौजूद सभी चार महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं आगे आई और उन्होंने एक स्वर में अपना फरमान सुना दिया कि इस गांव में किसी भी सूरत में सरपंच पद के लिए चुनाव की नौबत नहीं आनी चाहिए तथा सरपंच का पद चाहे जिस वर्ग के लिए भी आरक्षित हो, ग्राम पंचायत महमदपुर का पहला सरपंच तो निर्विरोध ही चुना जाएगा।
गांव की मालती कंवर बताती है कि महमदपुर में कुल चार स्वसहायता समूह है। वैभव लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष वह स्वयं मालती कंवर है, तो वहीं महामाया स्वसहायता समूह की अध्यक्ष रूपकुंवर कंवर, दुर्गा स्वसहायता समूह की अध्यक्ष ललिता यादव और गायत्री स्वसहायता समूह की अध्यक्ष मंदाकनी कंवर है। इन चार स्वसहायता समूह के अतिरिक्त गांव में एक और समिति है जिसे महामाया समिति के नाम से जानते हैं और जिसके प्रमुख मथुर सिंह गोंड़ है। महमदपुर में सरपंच के निर्विरोध निर्वाचन के लिए प्रारंभ में चारो स्वसहायता समूह की महिलाओं ने अपने स्तर पर पहल की तथा आपस में अपने बीच में निर्विरोध निर्वाचन पर एकराय बनाने का काम किया जिसके बाद महामाया समिति के बैनर तले आंगनबाड़ी के पास गांव के सभी पुरूष और महिलाओं की बैठक हुई जिसमें महिलाओं की राय का सम्मान करते हुए महमदपुर में निर्विरोध निर्वाचन पर मुहर लगाई गई।
गांव के बुजुर्ग खोलबहरा केंवट बताते हैं कि ग्राम पंचायत महमदपुर आदिवासी बाहुल्य गांव है तथा यहां गोंड़ और कंवर जनजाति के लोग ज्यादा है। महमदपुर में सरपंच का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया। यहां उस वर्ग से एक ही परिवार के चार-पांच घर है। दुलेशिया बाई और उसकी देरानी यही उनके घर के पास ही रहती है तो वहीं अन्य परिवार बस्ती में दूसरे जगह रहते हैं। महमदपुर में निर्विरोध सरपंच के निर्वाचन में गांव की चारो महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने ही इस बात की शुरूआत की थी जिसके बाद गांव में हुए कई दौर की बैठक में गांव के सम्मानित बड़े बुजुर्ग बसंत गौटिया, रमेश कुमार कैवत्र्य, विनय और अन्य बड़े बुजुर्गो ने इस मामले में सभी लोगों को एकजुट करने का काम किया। सभी को समझाया गया कि चुनाव होने से आपसी दुश्मनी बढ़ती है वहीं गांव के विकास में रूकावट पैदा होती है, जबकि निर्विरोध निर्वाचन से गांव में विकास तेज गति से होगा। निर्विरोध निर्वाचन के बाद गांव में जो भी विकास होगा उसे सभी मोहल्लों में, सभी वर्गो में समान रूप से बांटा जाएगा। जो भी पंचायत प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित होते हैं वह चुनाव जीतने के बाद निरंकुश न हो जाए इस बात का खास ख्याल रखना होगा तथा उन्हें बस्ती वालों के अनुसार ही चलना होगा तथा गांव के विकास को प्राथमिकता देनी होगी। गांव के एक अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि दुलेशिया बाई के पति रायगढ़ में रहते हैं। गांव में अनुसूचित जाति वर्ग के जितने भी लोग हैं उसमें दुलेशिया बाई उन्हें सबसे ज्यादा योग्य लगी क्योंकि वह सभी लोगों को बराबर मान-सम्मान और आदर देती है इसलिए आरक्षण के बाद उसके नाम पर आम सहमति बनाने की कोशिश की गई।
ग्राम पंचायत महमदपुर की पहली सरपंच बनने वाली दुलेशिया बाई चैहान बताती है कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी अपने गांव की सरपंच बन सकती है। गांव वालों ने उन्हें सरपंच बनाना चाहा तो उनके परिवार वालों ने गांव वालों की राय का सम्मान किया। वो सरपंच जरूर बन गई है लेकिन गांव का पूरा काम काज गांव-बस्ती वालों के कहे अनुसार ही कराया जाएगा। ग्राम पंचायत महमदपुर में सरपंच के अतिरिक्त पांच वार्डो के पंच मनहरण सिंह, बलराम सिंह, श्रीमती रूपकुंवर, रूखमणी और रमेश्वरी चैहान का भी निर्विरोध निर्वाचन हुआ है वहीं जनपद सदस्य के रूप में गांव से मालती कंवर का चयन किया गया है तथा वही इस गांव से बीडीसी के लिए एकमात्र प्रत्याशी है।

मां महामाया की अद्भूत मूर्ति है महमदपुर में

भक्तिन के बसाए हुए गांव में बाजार लगने से ग्राम महमदपुर भक्तिन बाजार के नाम से आस-पास के क्षेत्र में जाना जाता है। इस गांव में मां महामाया की एक काफी प्राचीन और अद्भूत मूर्ति है। महमदपुर के ग्रामीणों के अनुसार मां महामाया की ऐसी मूर्ति और कहीं अन्यत्र होने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सुना। ग्रामीणों के अनुसार महामाया की यह मूर्ति छैमासी रात की बनी हुई है। मां महामाया की इस मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां एक ही पत्थर से चार अलग-अलग दिशाओं में चार अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्ति बनी हुई है जो कि भारतीय मुद्राओं में अंकित चार सिंहों की याद दिलाते हुए भी उससे इस मायने में अलग है कि वहां चारों दिशाओं में सिंह अंकित है तो यहां पूर्व में मां महामाया, पश्चिम में भैरव बाबा, उत्तर में कालीमां और दक्षिण में भगवान गणेश की प्रतिमा अंकित है। गांव में हर रविवार को बाजार बैठता है तो वहीं साल में एक बार रावत बाजार और चैत्र और क्वांर मास में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

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